02 मार्च 2021

जल शक्ति विभाग में भरे जाएंगे 3192 पद

 


जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने विधानसभा में कहा कि सरकार 226 पेयजल योजनाओं में ठेकेदार के द्वारा रखे गए 989 कर्मचारियों के बदले अब पैरा पॉलिसी के तहत भर्तियां करेगी। वर्तमान में इन 226 स्कीमों पर ठेकेदारों के माध्यम से कर्मचारी काम कर रहे हैं। वह भाजपा विधायक रमेश धवाला के सवाल के जवाब दे रहे थे। धवाला का आरोप था कि आउटसोर्स पर लिए गए स्टाफ का शोषण हो रहा है।


 मंत्री ने बताया कि वर्तमान में 226 स्कीमों पर कुल 989 पंप ऑपरेटर, फिटर, बेलदार, चौकीदार, इलेक्ट्रिशियन, माली, डाटा ऑपरेटर इत्यादि रखे गए हैं। 419 पंप ऑपरेटरों में से 343 पंप ऑपरेटर आईटीआई प्रशिक्षित हैं और शेष बचे 76 पंप ऑपरेटर अनुभव के आधार पर लगाए गए हैं। इसी प्रकार 32 फिटरों में से 25 फिटर आईटीआई प्रशिक्षित हैं और शेष 7 वाला के अनुभव के आधार पर लगाए गए हैं।


 इसके अलावा जल शक्ति विभाग में 716 पंप ऑपरेटर, 140 फिटर मैसर्ज शिमला क्लीनवेज द्वारा रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त 1346 बेलदार और चौकीदार भी इसी कंपनी के माध्यम से रखे गए हैं। वर्तमान में आउटसोर्स की गई योजनाओं पर विभागों करीब 14 करोड़ सालाना खर्च हो रहा है। यदि पैरा पॉलिसी के तहत यही पद भरे तो सालाना 4 करोड़ का खर्चा है और 10 करोड़ बचत होगी। यदि इन्हें अनुबंध पॉलिसी पर रखते हैं तो 10.78 करोड़ खर्चा होगा।


 इसलिए सरकार कैबिनेट में फैसला लेकर ये पद भी पैरा वर्कर पॉलिसी में भरेगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जितने कर्मचारी शिमला क्लीनवेज कंपनी के माध्यम से लिये गए हैं, इन पदों को भी पैरा पॉलिसी में भरा जाएगा। मंत्री ने बताया कि सरकार ने इससे पहले 2322 पद भरने की अनुमति दे रखी है, लेकिन साथ ही वित्त विभाग ने इतने ही पद डाइंग कैडर में डालने की शर्त रखी है। ऐसा करना संभव नहीं है। 


इस बात को फिर से कैबिनेट में रखा जाएगा। विभाग में पूर्व कांग्रेस सरकार के समय वर्ष 2004-05 में 17000 पद डाइंग कैडर में डाले गए हैं। इसके कारण विभाग को चलाना वैसे ही मुश्किल हो रहा है। अब जल जीवन मिशन के शुरू हो जाने के बाद वैसे भी काम और योजनाएं बढ़ गई और जल शक्ति विभाग को और कर्मचारियों की जरूरत है।

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