2009 में
ग्रामीण विद्या उपासक शिक्षकों की
नियुक्ति हुई, जिसमें ईजीएस
शिक्षकों को भी चार साल के अनुभव की शर्त के साथ इन पदों
पर नियुक्त किया गया। इसमें उन
शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई जो
बीएड और ग्रेजुएट थे, लेकिन चार
साल के अनुभव की शर्त भले ही'
पूरी न करते हों। ऐसे में जो शिक्षक
जमा दो उत्तीर्ण ही थे ऐसे 146
शिक्षकों को बाहर कर दिया गया।
अब ये शिक्षक पिछले 12 साल से
बेरोजगार हैं और लगातार प्रदेश'
सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन्हें
ग्रामीण विद्या उपासक के पदनाम
पर नियुक्ति दी जाए। ईजीएस
शिक्षकों ने उनकी नियुक्तियों को
ग्रामीण विद्या उपासक में परिवर्तित
करने की मांग की है। उनका कहना
है कि उन्हें भी प्रदेश सरकार
एकमुश्त छूट प्रदान करे।
वित्त विभाग में लंबित पड़ा है मामला
हिमाचल प्रदेश ईजीएस अध्यापक संघ ने प्रधान सचिव शिक्षा को
ज्ञापन सौंपा है। ईजीएस शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रधान रमेश
कुमार
का कहना है कि साल 2013 से लेफ्ट आउट रहे 146 शिक्षकों को
जीवीयू की नीति में अभी तक नहीं बदला गया है।
शिक्षा सचिव के ध्यान में मामला लाने के बाद इसे वित्त विभाग
को भेज दिया गया था। 14 दिसंबर से कैबिनेट की बैठक में यह
मुद्दा चर्चा के लिए लाया जाना था, लेकिन वित्त विभाग की ओर से
'प्रस्ताव पूरा नहीं किया गया था।
इस कारण कैबिनेट में यह मसला नहीं लग पाया।
शिक्षक संघ ने
मांग की है कि वित्त विभाग इस प्रस्ताव को जल्द तैयार करे, ताकि
आगामी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी के लिए लाया जा सके।
इसके साथ ही शिक्षकों की यह भी मांग है कि अप्रैल, 2010 से
पहले जो शिक्षक जमा दो उत्तीर्ण कर चुके हैं और 2011 में हुई
अधिसूचना के तहत एक मुश्त छूट दी जाए। इन शिक्षकों की नियुक्ति
सर्व शिक्षा अभियान के तहत थी।