लंबे समय से नए वेतनमान का इंतजार
कर रहे पंजाब के सरकारी कर्मचारियों
को गुरुवार को राज्य सरकार ने फिर
झटका दे दिया। सरकार ने छठे वेतन
आयोग का कार्यकाल 31 मई, 2021
तक बढ़ा दिया। सरकार के प्रसोनल
विभाग की ओर से गत पहली अप्रैल
को जारी नोटिफिकेशन को आगे भी
जारी रखते हुए छठे वेतन आयोग का
कार्यकाल 31 मई तक या रिपोर्ट सौंपे
जाने तक या दोनों में से जो भी पहले
हो, उनके अनुसार बढ़ा दिया है। इससे
पहले राज्य सरकार ने 31 मार्च को
समाप्त हुई छह महीने की अवधि को
30 अप्रैल तक बढ़ा दिया
था।
सरकारी कर्मचारी
पिछले पांच साल से इस
आयोग की रिपोर्ट का
इंतजार कर रहे हैं। पंजाब
में अकाली-भाजपा
गठबंधन सरकार के समय
फरवरी, 2016 में वेतन
आयोग का गठन किया गया था। तब
सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव आरएस
मान के नेतृत्व में आयोग का तीन
सदस्यीय पैनल बनाया था, लेकिन
इसके दो सदस्यों की नियुक्ति में ही नौ
महीने का समय बीत गया और दोनों
सदस्यों की नियुक्ति नवंबर, 2016 में
हो सकी।
इसके बाद आयोग अपना
कामकाज शुरु कर
पाता, लेकिन राज्य में
सरकार बदल गई।
कैप्टन अमरेंदर सिंह के
नेतृत्व में नई सरकार के
सत्ता संभालने के कुछ
समय बाद आरएस मान
ने व्यक्तिगत कारणों से
आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे
दिया। इसके बाद कैप्टन सरकार ने पूर्व
मुख्य सचिव जय सिंह गिल को आयोग
की कमान सौंपी और आयोग ने काम
करना शुरु किया।
खास बात यह रही
कि वेतनमान संशोधन रिपोर्ट के लिए
आयोग का कार्यकाल लगातार बढ़ाया
जाता रहा, जबकि आयोग के समक्ष अब तक वेतनमान, भत्ते, वेतन-
विसंगतियों और अन्य मुद्दों को लेकर
राज्य सरकार के कर्मचारियों के विभिन्न
संघ और अन्य समूहों की ओर से 600
से अधिक रिप्रेजेंटेशन दी जा चुकी हैं।
आयोग के गठन और इसके कामकाज
को लेकर कर्मचारी संगठन शुरु से ही
आवाज उठाते रहे हैं। दरअसल,
आयोग का गठन करने और उसके
अध्यक्ष के बदलने के बाद भी राज्य
सरकार ने आयोग को कोई कार्यालय
स्टाफ नहीं दिया। बस, चेयरमैन और
सदस्य के रूप में ही यह आयोग चलता
रहा। नतीजतन प्रदेश के 3.5 लाख
कर्मचारियों का डाटा कम्पाइल करने
का काम कछुआ चाल से आगे बढ़ा।