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11 फ़रवरी 2021

सरकारी झील में तैरेंगी प्राईवेट मछलीयां, निजीकरण की ओर गोविन्द सागर

 

गोबिंद सागर झील में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ई- टेंडर किए जा रहे हैं। इसमें एक ठेकेदार को झील में मछली उत्पादन का जिम्मा दे दिया जाएगा। इसके बाद यहां पर कार्य कर रही सभी सोसायटियां इसी ठेकेदार के पास मछली बेचेंगी।

 इसको लेकर रेट और अन्य औपचारिकताएं भी विभाग की ओर से तय कर दी गई हैं। इतना ही नहीं, गोबिंदसागर झील में बीज डालने का जिम्मा भी ठेकेदार का होगा। 


गौर हो कि पिछले कुछ समय से गोबिंद सागर जलाशय में मछली उत्पादन काफी कम हुआ है। इससे विभाग को भी सालाना लाखों का नुकसान हो रहा है और मछुआरों की आय भी दिन- प्रतिदिन कम होती जा रही है, जबकि यहां पर जो पांच से छह ठेकेदार मछली का व्यवसाय कर रहे हैं, वे चांदी कूट रहे हैं।


 ऐसे में अब सरकार ने निर्णय लिया है कि गोबिंद सागर झील में एक ही ठेकेदार को मछली खरीद-फरोख्त का जिम्मा दे दिया जाएगा। इसके अलावा झील में बीज डालने की जिम्मेदारी भी उसी की होंगी। वहीं, मछली को लंबे समय तक सिक्योर कर पाने के लिए ठेकेदार को कोल्ड स्टोर भी बनाना होगा। 


यह कोल्ड स्टोर वह अपनी सहूलियत के हिसाब से कहीं भी बना सकता है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि अभी तीन फर्मों ने उनसे संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि विभाग सात से 10 साल तक उन्हें झील में मछली उत्पादन की जिम्मेदारी दे, ताकि वे बेहतर तरीके से काम कर सकें।

गोबिंदसागर झील में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ई-टेंडरिंग की जा रही है। 
ठेकेदार को ही बीज डालने से लेकर मछलियों को बेचने और खरीदने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए शर्ते तय की गई हैं, जिन्हें उसे पूरा करना होगा 
 वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास विभाग, पशुपालन एवं मत्सय मंत्री 


 50 प्रतिशत लोकल बाकी बेच सकेंगे बाहर टेंडर में 
विभाग की ओर से यह शर्त भी रखी गई है कि ठेकेदार को पकड़ी गई मछली लोकल बाजार में ही बेचनी होगी। इसके लिए वह तय रेट से 30 प्रतिशत से ज्यादा दाम नहीं वसूल सकेगा। इसके अलावा 50 प्रतिशत मछली वह राज्य से बाहर कहीं भी बेच सकता है। सरकार इसकी ब्रांडिग करेगी, ताकि मछली को अलग दर्जा मिल सके। बाहर बेचने के लिए ठेकेदार को किसी तरह का दाम तय नहीं है। वह अपने हिसाब से मछली को बेच सकेगा।

 सोसायटियों को नहीं आएगी कोई दिक्कत : गोबिंदसागर झील में कई सोसाइटियां मछली पकड़ने का काम करती है। इन सोसायटियों से हजारों मछुआरों का रोजगार जुड़ा है, जो कि मछली पकड़ कर ही अपने घर का गुजर बसर करते हैं। ऐसे में ठेकेदार के पास काम जाने से उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। वे पहले की तरह की काम करते रहेंगे। इसके साथ ही मछली बेचने के लिए भी उन्हें यहां-वहां भटकना नहीं होगा। एक ही जगह वे आसानी से मछली बेच सकेंगे।

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