कोरोना की वजह से बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित है।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते सात महीने से स्कूलों में पढ़ाई बंद हैं. लेकिन अब सरकार स्कूलों में बच्चों को बुलाने के लिए कोशिश कर रही है. सूबे के स्कूलों में कोरोना संकट के बीच शुरू हो हुए अनलॉक चरण 5 में केंद्र सरकार ने स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने के निर्देश दिए हैं. 15 अक्तूबर के बाद स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने के निर्देश थे. अब ये आदेश दिए गए हैं की 19 अक्टूबर से नियमित कक्षाए लगाई जाएँगी।
क्या लिखा है सहमित पत्र में
सरकार का कहना है कि पहले चरण में स्कूलों में दसवीं और 12वीं के बच्चे बुलाए जाएंगे. हालांकि, इस दौरान बच्चों के माता-पिता की सहमति जरूरी है. लेकिन सरकार की ओर से जारी सहमति पत्र पर सवाल उठ रहे हैं. सरकार के सहमति पत्र के अनुसार, यदि स्कूलों में बच्चों को कोरोना हुआ तो उसके लिए सरकार और स्कूल जिम्मेदार नहीं होंगे. यानी स्कूल में बच्चों को कोरोना होने पर माता-पिता ही जिम्मेदार होंगे. पत्र के अनुसार, कोरोना होने पर माता-पिता स्कूलों को जिम्मेदार नहीं ठहराएंगे.
इसी तरह पंजाब में भी 19 अक्टूबर से स्कूलों को 9 वीं से 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए खोला जा रहा है। पंजाब सरकार ने भी ऐसे आदेश जारी किये हैं , सरकार ने बच्चों के माता पिता से सहमति पत्र लेकर ही बच्चों को स्कुल भेजने को कहा गया है। आदेशों में लिखा है बच्चों को स्कूल में प्रवेश पिता की सहमति के साथ ही मििलेगा अन्यथा बच्चे आनलाइन स्टडी करें async="" src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js">
उधर हरियाणा में स्कूल खुलते ही एक ही स्कुल में 5 बच्चों को कोरोना हो गया है जिस से स्कुल में छुटी करनी पड़ी।